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जानिए एक अप्रैल मूर्ख दिवस का इतिहास, कैसे-कैसे मनाते हैं

April Fools' Day 2020

अप्रैल फूल्स डे या अप्रैल फूल डे कहा जाता है। 1 अप्रैल को एक वार्षिक रिवाज है, जिसमें व्यावहारिक चुटकुले और होक्स शामिल हैं। मजाक या झांसा देने वाला खिलाड़ी अक्सर प्राप्तकर्ता के “अप्रैल फूल” चिल्लाकर बाद में अपनी कार्रवाई को उजागर करता है। इन कार्यों के प्राप्तकर्ताओं को अप्रैल फूल कहा जाता है। इन प्रैंक में मास मीडिया को शामिल किया जा सकता है। हालांकि 19 वीं शताब्दी से लोकप्रिय है, यह दिन किसी भी देश में सार्वजनिक अवकाश नहीं है। एकमात्र अपवाद यूक्रेन में ओडेसा है, जहां अप्रैल का पहला आधिकारिक शहर अवकाश है।

इसी अवसर में हम हर किसी को मूर्ख बनाके मूर्ख दिवस का त्योहार मनाने की कोशिश करते है, लेकिन शातिर दिमाग के लोग मूर्ख नही बनते है वह मूर्ख दिवस के दिन सबसे पूरा दिन बचकर रहते है और किसी के बात पर जल्द विश्वास नही करते है, करें भी क्यों उन्हे मूर्ख बनने का डर जो है।

फिर भी बहुत सारा ऐसे भी लोग है जिन्हे पता नही होती है कि 1 मार्च को हर साल मूर्ख दिवस मनाई जाती है या उन्हें याद नही होता है, जिससे वह उन्हे कोई भी मूर्ख बना देता है और वो मूर्ख बड़े ही आसानी से बन भी जाते है। इस दिन का बच्चे बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार करते है।

लेकिन आपने कभी सोचा है आखिर मूर्ख दिवस क्यों मनाया जाता है, मूर्ख दिवस का इतिहास, मूर्ख दिवस कब मनाया जाता है आप भी इन सभी सवाल का जवाब जानना चाहते है तो आपको इस आर्टिकल में इन सभी सवालो का जवाब मिलने वाला है, इसलिए आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ते रहें।

मूर्ख दिवस क्यो मनाया जाता है (History of April Fools’ Day)

1 अप्रैल को हर वर्ष दुनिया के लगभग सभी देशों जैसे:- भारत, अमेरिका, इटली, जापान, चीन, रशिया इत्यादि में मनाई जाती है। कुछ देशों में तो मूर्ख दिवस के दिन यानि 1 अप्रैल के दिन हर वर्ष राष्ट्रीय छुट्टी होती है तो वही कुछ देश में इन दिन छुट्टी नही होती है, उसमें इंडिया भी शामिल है।
फूलिश डे को लेकर कई कहानियाँ सुनने को मिलती है और सभी कहानी में मूर्ख दिवस मनाने का अलग-अलग कारण बताई गई है, हालांकि अभी तक यह साफ नही हुई है कि किस कहानी में कितनी सच्चाई है और मूर्ख दिवस मनाने जाने के पीछे की कहानी क्या है। उन्ही कुछ कहानी में से आपके साथ हम कुछ कहानी साझा कर रहें है।

मूर्ख दिवस की कहानी एक फूलिश डे के कहानी के अनुसार सबसे पहले 1582 में फ़्रांस में इसकी शुरुआत हुई थी, जब पोप चार्ल्स 9 ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया था। कहानी के अनुसार सुनने को मिलता है कि जब रोमन कैलंडर की शुरुआत की गई थी

उसके बाद भी बहुत सारा लोग पुराने तारीख पर ही नया साल मानते थे, जिस वजह से उन्हे अप्रैल फूल के नाम से बुलाने लगा तथा उनका उस दिन मज़ाक और मूर्ख जैसा वर्ताव किया गया। जिससे अप्रैल फूल जैसी एक त्योहार या मज़ाकिया दिन की शुरुआत हुई।

अप्रैल फूल कि कहानी दूसरे मूर्ख दिवस की कहानी के अनुसार चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का संग्रह थी। उसमें एक कहानी ‘नन की प्रीस्ट की कहानी’ मार्च के 30 दिन और 2 दिन में सेट थी। जिसे प्रिटिंग की गलती समझा जाता है और विद्वानों के हिसाब से, चौसर ने असल में मार्च खत्म होने के बाद के 32 दिन लिखे।

इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था और उन्हे मूर्ख कहकर संबोधित किया गया था, जिस वजह से यह शब्द लोगों में प्रचलन होने लगी और लोग एक-दूसरे को 1 अप्रैल के दिन अप्रैल फूल बनाने जैसी रिवाज की शुरुआत की और यह अब तक चलता आ रहा है।

फूलिश डे स्टोरी वहीं तीसरे मूर्ख दिवस की खानी के अनुसार नन्स प्रीस्ट्स टेल के मुताबिक, इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च घोषित कर दी गई जिसे वहां की जनता ने सच मान लिया और मूर्ख बन बैठे। तब से 32 मार्च यानी 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाया जाता है।

इस मज़ाकिया बातों को लेकर उस समय के इंग्लैंड के लोगों ने सच मानकर तथा अपने राजा की बातों पर विश्वास कर यह जान चुके थे कि अब 32 तारीख भी होगी और उसी दिन शादी होगी। उनकी यही मूर्खता भरी मासूमियत ने उनको मूर्ख बनने पर मजबूर कर दिया और उन्ही के नामों पर April Fool बनाने जाने लगा।

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1. अप्रैल की कहानी चौथे कहानी की बात करें तो 100 से अधिक वर्ष पहले 1915 में जर्मनी के लिले हवाई अड्डा पर एक ब्रिटिश पायलट ने विशाल बम फेंका। इसको देखकर लोग इधर-उधर भागने लगे, देर तक लोग छुपे रहे। लेकिन बहुत ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी जब कोई धमाका नहीं हुआ तो लोगों ने वापस लौटकर इसे देखा।

जहां एक बड़ी फुटबॉल थी, जिस पर अप्रैल फूल लिखा हुआ था और लोग उस फूटबॉल पर लिखी बातों को पढ़कर खुद को कोसने लगे और वहाँ पर छुपे ब्रिटिश पायलट ने निकलकर उन्हे मूर्ख से संबोधित किया और उनका बहुत सारा मज़ाक बनाया। जिसके बाद इस कहानी के अनुसार मूर्ख दिवस की शुरुआत हुई थी।

2. April fool Story कुछ लोग इसे हिलारिया त्यौहार से भी जोड़ कर देखते हैं। हिलारिया एक त्यौहार है जो प्राचीन काल में रोम में मनाया जाता था। इस त्यौहार में देवता अत्तिस की पूजा होती थी हिलारिया त्यौहार में उत्सव का भी आयोजन किया जाता था।

इस उत्सव के दौरान लोग अजीब-अजीब कपड़े पहनते थे। साथ ही मास्क लगाकर तरह-तरह के मजाक करते थे। उत्सव में होने वाली इस गतिविधि के कारण ही इतिहासकारों ने इसे अप्रैल फूल डे से जोड़ दिया और यह प्रचलन आज तक इस कहानी के अनुसार चलती आ रही है।

तो आपने देखा मूर्ख दिवस की कई सारी कहानियाँ है, जो सब कहानी अपने-अपने स्तर पर अप्रैल फूल का इतिहास बताता है, लेकिन किसी भी कहानी ने पूरी हद तक यह सिद्ध नही कर पाई है कि मूर्ख दिवस के पीछे का वास्तविक कहानी क्या है, हो सकता है यह सब काल्पनिक कहानी हो और लोग दुनिया को हर साल अप्रैल फूल बनाने का मनसा हो। खैर यह तो मज़ाक की बात है।

अप्रैल फूल का प्रसिद्ध मज़ाक
इतिहास में ऐसे बहुत सारे 1 अप्रैल को मज़ाक किया गया है जिसका दुनिया को विश्वास भी हो गया था, लेकिन यह सब सिर्फ दुनिया को अप्रैल फूल संबोधित करने के लिए किया गया था। कुछ प्रसिद्ध मज़ाकिया हम आपके साथ साझा कर रहें है।

Example:-
बिल गेट्स की हत्या 2003 में कई चीनी और दक्षिण कोरियाई वेबसाइटों ने यह दावा किया था कि सीएनएन ने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की ह्त्या की रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद दक्षिण कोरियाई स्टॉक मार्केट में 1.5% की गिरावट दर्ज की गयी थी, लेकिन यह सिर्फ अफवाह और दुनिया को अप्रैल फूल बनाना था।

लीजेंड ऑफ ज़ेल्दा मूवी ट्रेलर एक वीडियो गेम वेबसाइट आईजीएन ने 2007 के अप्रैल फूल्स डे को एक असल-जैसा दिखने वाला लीजेंड ऑफ ज़ेल्दा मूवी का ट्रेलर रिलीज किया। कई लोगों ने काफी उत्साहित होकर धीरे-धीरे यह विश्वास कर लिया कि एक असली ज़ेल्दा मूवी आने वाली है, लेकिन आईजीएन ने खुलासा कर दिया कि यह एक धोखा था। बाद में अफवाहें उड़ाई गयीं कि एक असल लीजेंड ऑफ ज़ेल्दा फिल्म बनायी जा रही है।